P M

47%
Flag icon
धर्म तभी तक है जब तक जीवन है। जब जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ता है तब धर्म का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाता है। ऐसे समय धर्म यदि बंधन की तरह सामने आ जाए तो उससे मुक्त होना ही जीवनधर्म है। इसलिए अब तक जो हुआ, वह हुआ; अब हमें भी युद्ध के नियमों की परवाह किए बिना युद्ध करना चाहिए। इस संदर्भ में आपकी क्या राय है?’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
Rate this book
Clear rating