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‘‘जो बाहर है, उसे भीतर क्यों ले आ रहे हो? उसे बाहर ही रहने दो और निर्भय होकर सो जाओ। तुम मारे जाने के पहले ही मरना चाहते हो! मेरे मित्र होकर भी इतने कायर हो!’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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