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जो होना है, वह तो होगा ही। उससे डरना क्या! आप ही लोगों का तो कहना है कि साहस के साथ उसका मुकाबला करना चाहिए; किंतु धर्म और न्याय के विरुद्ध होकर नहीं।
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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