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जन्म से भले ही तुम स्वयं को अंत्यज समझते हो। फिर जन्म से हर व्यक्ति अंत्यज होता है। जाति का आधार तो कर्म है।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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