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‘‘कभी-कभी कूटनीति कटे तने को भूमि में गाड़कर हमें वृक्ष का धोखा देती है। पूरा उपवन ही नकली और दिखावटी होता है।
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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