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‘‘शत्रुता को उत्तराधिकार में मत दीजिए। जब संततियाँ प्रतिशोध और बदले की भावना उत्तराधिकार में पाएँगी, तब एक-न-एक दिन यह धरती घृणा, द्वेष और प्रतिहिंसा से भर जाएगी। सौहार्द और प्रेम के लिए वह बड़ा दुर्भाग्यशाली दिन होगा।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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