हम सब एक ऐसी शक्ति से निर्मित हैं, जो अखंड और अनंत है—और हमारी दृष्टि खंडित है। हम जब उस अखंड को देखते हैं तब खंडित दृष्टि से ही देखते हैं। मात्र उसका एक खंड ही देख पाते हैं। बहुत कुछ वह हमारे लिए अदृश्य ही रहता है। इस घटना का भी बहुत कुछ हमारे लिए अदृश्य ही है।’’

