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यह मेरे जीवन का अनुभव है कि हर व्यग्रता पर खिलखिलाहट का आस्तरण डालिए। वह आशा से अधिक शांत हो जाएगी।
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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