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यह पृथ्वी विपुला है, शिखंडिन! इसमें न ऐसे आश्रमों की कमी है और न ऐसे आचार्यों की। यदि कमी है तो तुम्हारे पास संकल्प की, जीवन के प्रति पूरी निष्ठा की।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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