P M

81%
Flag icon
‘काल किसी व्यक्ति से कम छलिया नहीं है। यदि कन्हैया ऐसे ही छलिया होते तो पांडवों को अवश्य बचा लेते।’ मैं बोला।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
Rate this book
Clear rating