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आज की राजनीति की यही नियति है कि वह कार्य नहीं, परिणाम देखती है; साधन नहीं, साध्य देखती है।’ ‘तब सत्य तो बहुत दूर चला जाता होगा।’ मेरा प्रत्यय बोला। ‘सत्य मूल्यवान् है, पर समय और परिस्थितियाँ सत्य से अधिक मूल्यवान् हैं।’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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