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वस्तुतः मृत्यु कोई समस्या नहीं है। हम सब उसे समस्या समझते हैं, यही सबसे बड़ी समस्या है। मृत्यु तो एकमात्र द्वार है, मार्ग नहीं। मार्ग तो जीवन है। इस मार्ग से ही जीवन आया है और इसी द्वार से वह पुनः नए जीवन में प्रवेश करेगा। फिर द्वार समस्या बने, बात कुछ समझ में नहीं आती। समस्या तो मार्ग को बनना चाहिए, जीवन को बनना चाहिए।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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