P M

16%
Flag icon
‘‘पुत्र-मोह का अँधेरा संसार में किसी भी अँधेरे से घना होता है, उद्धव! और जब व्यक्ति इस अँधेरे में भटक जाता है तब जल्दी रास्ते पर नहीं आता।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
Rate this book
Clear rating