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‘आज मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु तो मनुष्य स्वयं है; वरन् उसका वास्तविक शत्रु है मनुष्य के भीतर कुंडली मारकर बैठा उसका अभिमान, उसकी ईर्ष्या, उसका द्वेष। शस्त्र उसके कारण हैं, उसके हथियार हैं।’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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