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इसलिए बाँह में रुक्मिणी के रहते हुए भी आह में राधा ही रहती है। रुक्मिणी मेरे जीवन के साथ है और राधा मेरी आत्मा के साथ। जीवन समाप्त हो जाने के बाद रुक्मिणी का संबंध समाप्त हो जाएगा; पर राधा का संबंध जन्म-जन्मांतर तक चलता रहेगा।
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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