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‘‘अपमान की अग्नि का शमन सामान्य नहीं है, पांचाली!’’ मैंने कहा, ‘‘उसे बुझाने के लिए संतोष का जल और आत्मचिंतन की शीतल बयार चाहिए, प्रतिशोध की समिधा नहीं।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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