P M

88%
Flag icon
वह कई में विभाजित हो सकती है, पर अपने प्रेम को विभाजित होने देना नहीं चाहेगी। वह आज के समाज में मात्र भोग्या है, भोक्ता नहीं।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
Rate this book
Clear rating