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‘‘हर प्रकाशमान की नियति चारों ओर से अंधकार से घिरने की होती है।’’ विपत्ति में उभरनेवाली एक शाश्वत मुसकान मेरे अधरों पर आई—‘‘वह दीप क्या, जो अंधकार से घिरा न हो! अँधेरा ही उसे अस्मिता प्रदान करता है और उसकी उपयोगिता भी स्थापित करता है।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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