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राजाओं को तो कई विवाह करने की शास्त्र अनुमति देता है।’’ फिर उन्होंने बड़े विस्तार से शास्त्र के इस संदर्भ की व्याख्या की—‘‘इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि शास्त्र राजाओं को वासना में लिप्त या विलासी बनाना चाहता है। वस्तुतः राजाओं को अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। इन परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए विवाह एक साधन होता है।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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