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आत्महत्या जहाँ धार्मिक दृष्टि से अपराध है, वहीं वह व्यावहारिक दृष्टि से भी जीवन से पलायन है।’’ मेरी चिंतना ने जोर मारा—‘‘मृत्यु तो अंतिम विकल्प है, वह कभी संकल्प नहीं होता—और जीवन संकल्प के साथ जीया जाता है। भागने से समस्या हल नहीं होती वरन् वह और भयंकरता के साथ पीछा करती है।’’
लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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