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Kindle Notes & Highlights
“हर पन्ना रफ नहीं होता… हर पन्ना फाड़ा नहीं जा सकता”
जब भी कोई inter-caste शादी करता है तो दुनिया की उम्र थोड़ी-सी बढ़ जाती है,
जब पति-पत्नी कम लड़ते हैं, उसका एक नुकसान यह भी होता है कि वे एक-दूसरे को मनाना, माफ करना नहीं सीख पाते।
कभी-कभी लगता है, अगर कभी दुनिया के सभी पागल अपनी कहानी सुनाने लगें तो शायद पागलखानों की जरूरत ही न पड़े।
हिंदुस्तान का आम पिता भी आखिर सब कुछ देख सकता है, लेकिन बोर्ड में लड़के का नंबर कम नहीं देख सकता।
“अब इस नीबू में रस नहीं रहा, पहले क्या दिन थे!”
तो रोशन आरा मैडम का जो दुख था, वही त्यागी जी का सुख था।
लड़के हमेशा ही दोस्ती से ज्यादा चाहते हैं और लड़कियाँ हमेशा दोस्ती को भी ज्यादा ही समझती हैं।
कई ऐसे मौके आते हैं जब आपको किसी के बाप के मरने पर कोई दुख नहीं होता। न ही किसी की लड़की के घर से भाग जाने पर ढेला भी फर्क पड़ता है। लेकिन समाज की रघुकुल रीत ही कुछ ऐसी है कि सांत्वना दर्ज करानी ही पड़ती है। कुछ लोग इसके expert होते हैं। दूसरे के दुख में दुखी होने से जो सुख उन्हें मिलता है, उस परमानंद का आप पूछिए ही मत। वे तो जैसे इस इंतजार में ही साँस लेते हैं कि किसी पर कोई दुख पड़े और सांत्वना प्रकट करने पहुँच जाएँ।
प्राइवेट नौकरी वाले चूस लेते हैं आदमी को। तनख्वाह के साथ ब्लड प्रेशर तो जैसे हर महीने बोनस में मिलता है।”
पहली बार लगा कि ये मार्केट अपने-आप में कितने घर छुपाए हुए है
मुकदमा लड़ना मुकदमा हारने जैसा ही होता है,
कोई अपने लिए पैसा थोड़े ही लेता है यार।”
जैसे लड़के हिसाब लगाते रहते हैं कि ये गलफ्रेंड लायक है और वो बीवी लायक, ऐसी ही गुणा-गणित लड़कियाँ भी करती हैं अक्सर, बिना शोर मचाए। अपनी सहेली को भी नहीं बतातीं और कई बार उस लड़के को भी नहीं।
घर की इज्जत और लड़की के प्यार में कितना गहरा संबंध होता है, ये पहाड़ा हर उस लड़की को रटाया जाता है जो पढ़ने के लिए अपने घर से दूर जा रही होती है।
हम दोनों सड़क पर रोशनी पकड़कर अँधेरा ढूँढ़ते हुए बढ़ने लगे।
घर वाले कपड़े हमारे वे रिश्ते होते हैं जिसमें घुसकर लगता है कि दुनिया को हमारे घर वाले कपड़ों जैसा आरामदायक होना चाहिए।
हमारे किचन हमारे मन का हाल बयाँ करते हैं।
अच्छी कहानियाँ अपने खत्म होने के बाद शुरू होती हैं।
लिखना एक शॉप है और अच्छा लिखना पागलपन।