मोरारजीभाई का ईश्वर में दृढ़ विश्वास था। इस विषय में उन्होंने अपने संस्मरण में जो लिखा है, वह सभी के लिए उपयोगी मार्गदर्शन है— ‘मेरी कैद ने ईश्वर में मेरे विश्वास को और दृढ़ करने में मदद की। यही विश्वास था, जिसकी मदद से मैं दुनिया के तूफानों के बीच शांत बना रह सका। मैंने आत्ममंथन किया। मैं स्वयं को कैसे सुधार सकता हूँ? मैं लगातार स्वयं से यह प्रश्न पूछता रहा...। मैंने महसूस किया कि चिंता कोई मदद नहीं करती है। उसके विपरीत, यह निर्णय पर बाधा डाल देती है। यह व्यक्ति को दूसरों की मदद करने से रोकती है और प्रगति को अवरुद्ध करती है। मैं स्वयं को पूरी तरह से ईश्वर की इच्छा पर समर्पित कर अपने सभी
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