इस उपन्यास में दावा किया गया है कि मनुष्य को जीवन में या तो सार्थकता प्राप्त होगी या सुख; लेकिन मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे दोनों ही भरपूर मात्रा में मिले हैं। सार्थकता प्रयोजन से आती है, मिशन की भावना से आती है, जीवन में हम कुछ भी व्यवसाय क्यों न करें। इसमें इस प्रश्न का उत्तर निहित है, ‘हमें क्यों जीना चाहिए?’ इसका उत्तर हमें अपने अतीत—वैयक्तिक तथा सामूहिक—की ओर ले जाता है; और साथ ही, भविष्य के बारे में हमारे स्वप्नों और लक्ष्यों की ओर भी। यह हमें अनुभव कराता हैं कि हमारे जीवन की सार्थकता किसी कर्तव्य के निर्वहन में है, तथा वर्तमान हमें कार्यक्षेत्र एवं अवसर दोनों प्रदान करता हैं, ताकि हम
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