Mohit Kumar

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अब मैं फिर से आत्मा और जगत के दुःख पर और सोचविचार शुरू नहीं करना चाहता। अब मैं स्वयं को और अधिक मारकर और अधिक चीर-फाड़कर अपने खण्डहरों में किसी रहस्य की खोज नहीं करना चाहता। मुझको न तो अब योग-शास्त्र से कुछ सीखना है, न अथर्ववेद से, और न ही किन्हीं दूसरे सिद्धान्तों से। मैं अब स्वयं से सीखना चाहता हूँ, अपना शिष्य बनना चाहता हूँ, अपने स्वत्व को समझना चाहता हूँ, सिद्धार्थ के रहस्य को समझना चाहता हूँ।"
Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
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