Mohit Kumar

92%
Flag icon
ज्ञान तो दूसरे तक पहुँचाया जा सकता है, लेकिन प्रज्ञा नहीं। उसको केवल उपलब्ध किया जा सकता है, उसको जिया जा सकता है, उससे सम्मोहित हो जाना सम्भव है, उसके सहारे चमत्कार भी कदाचित किये जा सकते हैं, लेकिन उसको न तो शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है, न सिखाया जा सकता है।
Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating