अपनी नियति से संघर्ष करना बन्द कर दिया, दुःख झेलना बन्द कर दिया। उसका चेहरा एक ऐसे ज्ञान की दीप्ति से खिला हुआ था, जिसका किसी भी इच्छा के साथ कोई विरोध नहीं रह जाता, जिसमें केवल पूर्णता का बोध होता है, जो घटनाओं के प्रवाह के साथ, जीवन की धारा के साथ, मैत्री रखता है, जो दूसरों की पीड़ा के प्रति सहानुभूति से भरा होता है, दूसरों के सुख के प्रति सहानुभूति से भरा होता है, प्रवाह के प्रति समर्पित, एकत्व का अंग।