Mohit Kumar

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लेकिन अब, उसकी मुक्त दृष्टि इस ओर टिक रही थी, वह दृश्यमान जगत को देख रहा था और उसके प्रति सजग हो रहा था, इस संसार के साथ आत्मीय होने का प्रयत्न कर रहा था, सच्चे सारभूत तत्त्व के पीछे नहीं भाग रहा था, इस संसार से परे किसी संसार को अपना लक्ष्य नहीं बना रहा था।
Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
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