Mohit Kumar

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यह पानी भागता रहा था, भागता रहा था, अविराम भागता रहा था, और तब भी वह हमेशा वहीं का वहीं बना रहा था, हमेशा और हर समय जस का तस, और तब भी हर पल नवीन! कितना महान होगा वह जो इस बात को पकड़ सकेगा, समझ सकेगा!
Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
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