Suraj

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प्रत्येक सच का विलोम उतना ही सच होता है! यह कुछ इस तरह है : किसी भी सत्य को केवल तभी अभिव्यक्त किया जा सकता है और शब्दों में रखा जा सकता है जब वह एकपक्षीय होता है। ऐसी सारी बातें, जिनको सोचा जा सकता है और शब्दों में कहा जा सकता है, एकपक्षीय हैं; यह सब एकपक्षीय है, सबका सब मात्र आधा है, इस सब में पूर्णता का, चक्रीयता का, ऐक्य का अभाव है। जब सिद्धपुरुष गौतम जगत के बारे में उपदेश देते थे, तो उनको उसको संसार और निर्वाण के, माया और सत्य के, दुःख और मुक्ति के, दो हिस्सों में बाँटना पड़ता था। इसको किसी और ढंग से किया ही नहीं जा सकता; जो व्यक्ति उपदेश देना चाहता है, उसके पास और कोई दूसरा ढंग नहीं है। ...more
Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
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