Suraj

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बहुत देर तक वह अपने रूपान्तरण के बारे में सोचता रहा, उस पक्षी की पुकार को सुनता रहा जो आनन्दित होकर गा रहा था। क्या यह पक्षी मर नहीं गया था उसके भीतर, उसने अपनी मृत्यु को महसूस नहीं कर लिया था? नहीं, कोई और वस्तु थी जो उसके भीतर मर गयी थी, कोई और वस्तु जो अरसे से मरने की कामना करती रही थी। क्या वह यही वस्तु नहीं थी जिसको वह इन्द्रियनिग्रह के अपने उत्साहपूर्ण वर्षों में मारना चाहता था? क्या यह उसका स्वत्व ही नहीं था, उसका छोटा-सा, डरा हुआ, गर्वीला स्वत्व, जिसके साथ वह वर्षों संघर्ष करता रहा था, जो उसको बारबार पराजित करता रहा था, जो मार दिये जाने के बाद हर बार वापस उठ खड़ा होता था, उसको आनन्द से ...more
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Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
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