Suraj

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"क्या तुमने," एकबार उसने उससे पूछा, "क्या तुमने यह रहस्य नदी से ही सीखा था कि समय नाम की वस्तु नहीं है?" वासुदेव का चेहरा एक उज्ज्वल मुस्कराहट से भर उठा। "हाँ, सिद्धार्थ," वह बोला। "तुम्हारा आशय यही है न कि नदी एक ही समय में हर कहीं होती है, उद्गम पर और मुहाने पर, प्रपात पर, घाट पर, प्रवाहों पर, समुद्र में, पर्वतों पर, एक ही समय में हर कहीं, और उसके लिए केवल वर्तमान समय ही सबकुछ है, अतीत की छाया नहीं, भविष्य की छाया नहीं?" "हाँ," सिद्धार्थ ने कहा। " जब मैंने यह सीखा, तो मैंने अपने जीवन की ओर देखा, और वह भी एक नदी ही था, और केवल एक छाया ही थी जिसने बालक सिद्धार्थ को पुरुष सिद्धार्थ से और वृद्ध ...more
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Siddharth (Hindi) (Hindi Edition)
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