"क्या तुमने," एकबार उसने उससे पूछा, "क्या तुमने यह रहस्य नदी से ही सीखा था कि समय नाम की वस्तु नहीं है?" वासुदेव का चेहरा एक उज्ज्वल मुस्कराहट से भर उठा। "हाँ, सिद्धार्थ," वह बोला। "तुम्हारा आशय यही है न कि नदी एक ही समय में हर कहीं होती है, उद्गम पर और मुहाने पर, प्रपात पर, घाट पर, प्रवाहों पर, समुद्र में, पर्वतों पर, एक ही समय में हर कहीं, और उसके लिए केवल वर्तमान समय ही सबकुछ है, अतीत की छाया नहीं, भविष्य की छाया नहीं?" "हाँ," सिद्धार्थ ने कहा। " जब मैंने यह सीखा, तो मैंने अपने जीवन की ओर देखा, और वह भी एक नदी ही था, और केवल एक छाया ही थी जिसने बालक सिद्धार्थ को पुरुष सिद्धार्थ से और वृद्ध
"क्या तुमने," एकबार उसने उससे पूछा, "क्या तुमने यह रहस्य नदी से ही सीखा था कि समय नाम की वस्तु नहीं है?" वासुदेव का चेहरा एक उज्ज्वल मुस्कराहट से भर उठा। "हाँ, सिद्धार्थ," वह बोला। "तुम्हारा आशय यही है न कि नदी एक ही समय में हर कहीं होती है, उद्गम पर और मुहाने पर, प्रपात पर, घाट पर, प्रवाहों पर, समुद्र में, पर्वतों पर, एक ही समय में हर कहीं, और उसके लिए केवल वर्तमान समय ही सबकुछ है, अतीत की छाया नहीं, भविष्य की छाया नहीं?" "हाँ," सिद्धार्थ ने कहा। " जब मैंने यह सीखा, तो मैंने अपने जीवन की ओर देखा, और वह भी एक नदी ही था, और केवल एक छाया ही थी जिसने बालक सिद्धार्थ को पुरुष सिद्धार्थ से और वृद्ध सिद्धार्थ से अलग कर रखा था, किसी वास्तविक वस्तु ने नहीं। यह भी कि सिद्धार्थ के पिछले जन्म अतीत में नहीं हुए थे, और उसकी मृत्यु और ब्रह्म में उसकी वापसी भविष्य में नहीं है। कुछ भी नहीं था, कुछ भी नहीं होगा; सबकुछ है, हर वस्तु अस्तित्व में है और वर्तमान है। " सिद्धार्थ आनन्द के अतिरेक से भरकर बोला था; इस प्रबोधन ने उसको बहुत गहरे आनन्द से भर दिया था। आह, क्या सारा का सारा दुःख समय ही नहीं है, क्या स्वयं को यातना देने और भयभीत बने रहने के सारे के सारे रूप समय ही नहीं हैं, क्या संसार की हर कठोर वस्तु, हर अहितकारी वस्तु उसी पल विदा नहीं ले लेती, उसी पल जीत नहीं ली जाती जिस पल में समय पर विजय पा ली जाती है, जिस पल में हमारे विचारों द्वारा समय को उसके अस्तित्व से उठाकर बाहर फेंक दिया गया होता है? वह आनन्दातिरेक से भरकर बोला था, लेकिन वासुदेव ने उसकी ओर उज्ज्वल मुस्कराहट से भरकर देखा और स्वीकृति के भाव से सिर हिला दिया; चुपचाप उसने सिर हिलाया, सिद्धार्थ के कन्धे पर हाथ फेरा, और मुड़कर अपने का...
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