Indra  Vijay Singh

42%
Flag icon
“यहाँ जीवन इतना अच्छा लग रहा है कि लगता है बहुत जी गए और मृत्यु यहाँ से बहुत समीप हो।” पिता ने कहा। “इतना अच्छा कि बहुत जीने के बाद भी बचा हुआ है। मृत्यु यहाँ से पास हो परन्तु वहाँ तक पहुँचने में बहुत देर लगेगी।” “ठीक कहती हो देर का जीवन बचा है। क्या हम यहाँ से मृत्यु को देख सकते हैं।” “बचे जीवन को देख लेने के बाद फुरसत मिलेगी तब। जीवित आँख से मृत्यु नहीं जीवन दिखता है।” “हाँ।”
Deewar Mein Ek Khirkee Rahati Thee (3rd) (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating