आयत्यां प्रतिकारज्ञस्तदात्वे दृढनिश्चयः। अतीते कार्यशेषज्ञो नरोऽर्थैर्न प्रहीयते।।54।। जो पुरुष भूतकाल की अपनी गलतियों को जानता है, जो अपने वर्तमान कर्तव्य को समर्पित भाव से करता है और जो भावी दुखों को टालने की विधि जानता है-वह कमी ऐश्वर्यहीन नहीं होता।

