Praveen Gupta

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असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः। अशुश्रूषा त्वरा श्लाघा विद्यायाः शत्रवत्रयः।।4।। अच्छाई में बुराई देखना मृत्यु जैसा कष्टकारी अवगुण है। बढ़-चढ़कर बोलना धन-हानि का कारक है। जल्दबाजी, बात पर ध्यान न देना तथा आत्मप्रशंसा-ये तीन अवगुण ज्ञान के शत्रु हैं।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
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