नाग्निस्तृप्यति काष्ठानां नापगानां महोदधिः। नान्तकः सर्वभूतानां न पुंसां वामलोचना।।7।। लकडि़याँ आग को तृप्त नहीं कर सकतीं; नदियाँ समुद्र को तृप्त नहीं कर सकतीं; सभी प्राणियों की मृत्यु यम को तृप्त नहीं कर सकती तथा पुरुषों से कामी त्री की तृप्ति नहीं हो सकती। अर्थात् तृप्ति के पीछे भागना व्यर्थ है।

