Praveen Gupta

12%
Flag icon
क्षिप्रं विजानाति चिरं शृणोति विज्ञाय चार्थ भते न कामात्। नासम्पृष्टो व्युपयुत्तेक्त परार्थे तत् प्रज्ञानं प्रथमं पण्डितस्य।।27।। ज्ञानी लोग किसी भी विषय को शीघ समझ लेते हैं, लेकिन उसे धैर्यपूर्वक देर तक सुनते रहते हैं। किसी भी कार्य को कर्तव्य समझकर करते हैं, कामना समझकर नहीं और व्यर्थ किसी के विषय में बात नहीं करते।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating