Praveen Gupta

51%
Flag icon
असूयको दन्दशूको निष्ठुरो वैरकृच्छठः। स कृच्छं् महदाप्नोति नचिरात् पापमाचरन्।।65।। अच्छाई में बुराई देखनेवाला, उपहास उड़ाने वाला, कड़वा बोलने वाला, अत्याचारी, अन्यायी तथा कुटिल पुरुष पाप कर्मों में लिप्त रहता है और शीघ ही मुसीबतों से घिर जाता है।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating