Praveen Gupta

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कर्मणा मनसा वाचा यदभीक्ष्णं निषेवते। तदेवापहरत्येनं तस्मात् कल्याणमाचरेत्।।55।। मन, वचन और कर्म से हम लगातार जिस वस्तु के बारे में सोचते हैं, वही हमें अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। अतः हमें सदा शुभ चीजों का चिंतन करना चाहिए।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
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