निश्चित्य यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः। अवन्ध्यकालो वेश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते।।29।। जो व्यक्ति किसी भी कार्य-व्यवहार को निश्चयपूर्वक आरंभ करता है, उसे बीच में नहीं रोकता, समय को बरबाद नहीं करता तथा अपने मन को नियंत्रण में रखता है, वही ज्ञानी है।

