Praveen Gupta

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एकं विषरसो हन्ति शत्रेणैकश्च वध्यते। सराष्ट्रं सप्रं हन्ति राजानं मत्रविप्लवः।।50।। विष केवल उसके पीने वाले एक व्यक्ति की जान लेता है, शत्र भी एक अभीष्ट व्यक्ति की जान लेता है, लेकिन राजा की एक गलत नीति राज्य और जनता के साथ-साथ राजा का भी सर्वनाश कर डालती है।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
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