Praveen Gupta

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न मनुष्ये गुणः कश्चिद् राजन् सधनतामृते। अनातुरत्वाद् भद्रं ते मृतकल्पा हि रोगिणः।।67।। महाराज! धन और स्वास्थ्य ही मनुष्य के दो सबसे बड़े गुण हैं। विद्वानों ने रोगी को मुरदे के समान कहा है। मेरी कामना है कि आप सदैव इन दो गुणों से भरे-पूरे रहें।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
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