Praveen Gupta

52%
Flag icon
दिवसेनैव तत् कुर्य्याद् येन रात्रौ सुखं वसेत्। अष्टमासेन तत् कुर्य्याद् येन वर्षा सुखं वसेत्।।68।। पूर्वे वयसि तत्त्कुर्याद् येन वृद्धः सुखं वसेत्। यावज्जीवेन तत्त्कुर्याद् येन प्रेत्य सुखं वसेत्।।69।। हर दिन ऐसा कार्य करें कि हर रात सुख से कटे। साल के आठ महीने वह कार्य करें कि वर्षा-काल के चार महीने सुख से कटे। बचपन में ऐसे कार्य करें कि वृद्धावस्था सुख से कटे और जीवन भर ऐसे कार्य करें कि मरने के बाद भी सुख मिले।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating