Praveen Gupta

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यत् सुखं सेवमानोऽपि धर्मार्थाभ्यां न हीयते। कामं तदुपसेवेत न मूढव्रतमाचरेत्।।60।। व्यक्ति को यह छूट है कि वह न्यायपूर्वक और धर्म के मार्ग पर चलकर इच्छानुसार सुखों का भरपूर उपभोग करे, लेकिन उनमें इतना आसक्त न हो जाए कि अधर्म का मार्ग पकड़ ले।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
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