Praveen Gupta

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न्यायार्जितस्य द्रव्यस्य बोद्धव्यौ द्वावतिक्रमौ। अपात्रे प्रतिपत्तिश्च पात्रे चाप्रतिपादनम्।।64।। न्याय और मेहनत से कमाए धन के ये दो दुरुपयोग कहे गए हैं-एक, कुपात्र को दान देना और दूसरा, सुपात्र को जरूरत पड़ने पर भी दान न देना।
Vidur Neeti (Hindi Edition)
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