न विश्चसेदविश्चस्ते विश्चस्ते नातिविश्चसेत्। विश्चासाद् भयमुत्पन्नं मूलान्यपि निकृन्तति।।9।। जो व्यक्ति भरोसे के लायक नहीं है, उस पर तो भरोसा न ही करें, लेकिन जो बहुत भरोसेमंद है, उस पर भी अंधे होकर भरोसा न करें, क्योंकि जब ऐसे लोग भरोसा तोड़ते हैं तो बड़ा अनर्थ होता है। ܀܀܀

