Poojan Bhatt

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जिस समाज के लोग शर्म की बात पर हँसें और ताली पीटें, उसमें क्या कभी कोई क्रान्तिकारी हो सकता है? होगा शायद। पर तभी होगा, जब शर्म की बात पर ताली पीटने वाले हाथ कटेंगे और हँसने वाले जबड़े टूटेंगे।
Vaishnav Ki Phislan (Hindi Edition)
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