इमरजेंसी की इनसाइड स्टोरी
Rate it:
4%
Flag icon
जिन्होंने संजय को मारुति फैक्टरी के लिए 290 एकड़ का प्लॉट कौडि़यों के भाव दिया और कीमत को छिपाने के लिए सरकारी कर्ज भी दिया था। बदले में संजय ने उन्हें प्रधानमंत्री के सबसे करीबी लोगों में जगह दिला दी थी।
4%
Flag icon
करता था।
11%
Flag icon
1950-51 और 1965-66 के बीच कीमतों में 3 प्रतिशत से कुछ अधिक की वृद्धि हुई थी। लेकिन उनके शासनकाल में यह बढ़ोतरी औसतन 15 प्रतिशत हो गई थी। उनका सामना अब तक के सबसे मुखर विपक्ष से हो रहा था।
19%
Flag icon
व्यवस्था कायम हो गई थी। श्रीमती गांधी ने एक बार कहा था कि वे इतिहास में एक ताकतवर हस्ती के रूप में याद किया जाना पसंद करेंगी, कुछ हद तक नेपोलियन या हिटलर की तरह, जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
23%
Flag icon
सेंसरशिप का मतलब था, ऐसी किसी भी घटना की खबर दबा देना, जिससे सरकार या सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की फजीहत हो।
23%
Flag icon
यह तख्तापलट रक्तहीन था। पूरे भारत में लोगों को धड़ल्ले से गिरफ्तार किया जा रहा था। गिरफ्तारी वारंट में बस इतना ही लिखा जाता था कि फलाँ-फलाँ को सार्वजनिक हित में गिरफ्तार किया जा रहा है। उन्हें न तो किसी कानून के तहत किए गए किसी अपराध का आरोपी बताया जाता था, न ही कोर्ट में उनकी पेशी की जाती थी। अधिकांश राज्यों में, एक आदर्श प्राथमिकी (एफ.आई.आर.), वह दस्तावेज जिसके आधार पर गिरफ्तारी की जाती थी, को साइक्लोस्टाइल कर जिले के पुलिस थानों में भेज दिया जाता था, ताकि जहाँ जरूरत पड़े उन्हें भर लिया जाए।
24%
Flag icon
कठोर और व्यापक सेंसरशिप के कदमों को नहीं देखा है। निकाले जाने का तरीका एक जैसा था। दरवाजे पर पुलिस दस्तक देती थी, आदेश थमाए जाते थे, उनके कागजातों की छानबीन होती थी और एक घंटे के भीतर पुलिस चली जाती थी।
25%
Flag icon
बेशक, विदेशी संवाददाताओं को उनकी खबरों के लिए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था, लेकिन उन्हें देश से निकाला जा सकता था। सबसे पहले निकाले जानेवालों में ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ के लेविस एम. सिमंस शामिल थे, जिन्होंने ‘संजय गांधी ऐंड हिज मदर’ नाम से एक लेख लिखा था। उन्होंने लिखा था, ‘‘प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो भारत के लिए बेहद गंभीर संकट के समय में अपने सबसे करीबी कैबिनेट के सहयोगियों पर भी भरोसा नहीं कर रही थीं, ने बड़े राजनीतिक फैसलों के लिए अपने विवादास्पद छोटे बेटे का रुख किया।’’ कई महीने पहले एक परिवार के दोस्त ने संजय और श्रीमती गांधी के साथ डिनर किया था। उसने बताया कि बेटे को उनकी माँ के चेहरे ...more
30%
Flag icon
एक दशक (1964-74) के दौरान गरीबी रेखा के नीचे जानेवालों की तादाद 48 प्रतिशत से 66 प्रतिशत हो गई।
30%
Flag icon
भारत सरकार ने 4 जुलाई को 26 राजनीतिक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें से चार ही थे, जिनका कुछ महत्त्व था। वे थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जो एक अतिवादी हिंदू पुनरुत्थान संगठन था, जमात-ए-इसलामी, जो एक मुसलिम धार्मिक संगठन था, और आनंद मार्ग, जो कट्टरपंथी हिंदुओं का एक संगठन था तथा चौथा संगठन नक्सलवादियों (चरम वामपंथियों) का था। उन पर आंतरिक सुरक्षा, सार्वजनिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को चुनौती देनेवाली गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगाया गया। अगस्त को अलगाववादी मिजो नेशनल फ्रंट को भी प्रतिबंधित संगठनों में शामिल कर लिया गया।
36%
Flag icon
यह अन्याय है कि किसी ने कुछ किया और आपको पसंद नहीं आया तो आप उसके अधिकार छीन लेंगे।
51%
Flag icon
ज्ञानी जैल सिंह के लिए धवन भी धवनजी थे, जो सम्मान का सूचक था। एक बार अपने विमान में सवार होते समय संजय का एक सैंडल नीचे गिर गया। जैल सिंह, जो एयरपोर्ट पर मौजूद थे, दूसरे कई लोगों की तरह ही उसे उठाने दौड़ पड़े थे।
57%
Flag icon
गया। तमिलनाडु की तरह ही गुजरात भी केंद्र के इमरजेंसी के नियम-कानूनों का विरोध कर रहा था। हितेंद्र देसाई, जो अब तक राज्य कांग्रेस पार्टी के नेता बन चुके थे, ने फरवरी की एक रिपोर्ट में कहा कि गैर-कांग्रेसी सरकार गुजरात में व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही है और वहाँ राजनीतिक हिंसा बढ़ रही थी। राष्ट्रपति ने 13 मार्च, 1976 को वहाँ का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया।
58%
Flag icon
विभिन्न प्रकार की यातनाएँ दी जाती थीं, नंगे बदन को हील वाली काँटेदार बूट से कुचला जाता था। पैरों के तलवे पर छड़ी बरसाई जाती थी। घुटने से लेकर पंजे तक की हड्डी पर पुलिस की लाठियाँ घुमाई जाती थीं। पीडि़त को घंटों तक छोटी सी जगह में पैर मोड़कर बिठाया जाता था। रीढ़ की हड्डी पर डंडे बरसाए जाते थे। दोनों कानों पर तब तक तमाचे जड़े जाते थे, जब तक कि पीडि़त होश न खो बैठे। राइफल के बट से पिटाई, शरीर के अंदर बिजली के नंगे तारों को घुसाया जाता था। सत्याग्रहियों को नंगे बदन बर्फ की सिल्लियों पर लिटाया जाता था। सिगरेट या मोमबत्तियों से त्वचा को जलाया जाता था। खाना, पानी और नींद के बिना तड़पाया जाता था और ...more
62%
Flag icon
पुलिस का गुस्सा खासतौर पर बुद्धिजीवियों के खिलाफ देखा जा रहा था। दिल्ली यूनिवर्सिटी के 200 से भी ज्यादा शिक्षकों को 26 जून की सुबह होने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उनमें से एक ओ.पी. कोहली भी थे, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष थे। वे शारीरिक रूप से अक्षम थे। उन्हें पुलिस लॉकअप में 24 घंटे तक खड़ा रखा गया, जबकि पुलिसवाले उन्हें गालियाँ देते रहे और कभी जूते से पीटा तो कभी धक्का दे दिया। वे बार-बार गिर जाते थे और उन्हें बार-बार खड़ा होने पर
62%
Flag icon
मजबूर किया जाता था।
66%
Flag icon
संजय के पाँच सूत्र थे : परिवार नियोजन, वृक्षारोपण, दहेज पर पाबंदी, हर एक कम-से-कम एक को पढ़ाए और जातिवाद का सफाया।
83%
Flag icon
विचारधारा ने उन्हें एक प्रगतिशील छवि दी, जिसे लोगों ने पसंद किया। लेकिन उनके समय में, और 16 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए, जो भारत की आबादी का कुल 68 प्रतिशत था।