Pritish

5%
Flag icon
ऐसी अकलमंदी किस काम की कि हर आनेवाला दुःख पहले से बड़ा होता चला जाए और बीते दुःख का संतोष हो कि बड़ा नहीं था।
नौकर की कमीज
Rate this book
Clear rating