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Kindle Notes & Highlights
घर बाहर जाने के लिए उतना नहीं होता जितना लौटने के लिए होता है।
बचपन से गाय को गाय कहना सीखा था। शादी के बाद पूरी समझदारी से उसी तरह पत्नी को पत्नी कहना सीखा।
“रौताइन
स्ट्रेप्टीज
जवान औरतों को जान जाने से ज्यादा बलात्कार का डर रहता था। परंतु पत्नी को जान जाने का ज्यादा डर था। मैं सोचता था कि उसे बलात्कार का डर ज्यादा होना चाहिए। अगर उसकी जान चली जाए तो मुझे बहुत दुःख होगा, इतना दुःख कि उसे भोगने के लिए मुझे पूरी जिंदगी जीना होगा। आत्महत्या को मैं बेवकूफी समझता था। तब पत्नी की जान जाने से मैं दुखी होता, पर अपमानित नहीं होता। बलात्कार होने से लोगों की सहानुभूति मेरे साथ नहीं होती! लोगों के संदर्भ से सोचने में धोखा होता था। बलात्कार से ज्यादा बड़ी दुर्घटना जान जाना है। पर चलन ऐसा नहीं था। दूसरों की सहानुभूति, हमारा स्वाभिमान तैयार करती थी।