Pulakesh

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खल परिहास होइ हित मोरा । काक कहहिं कलकंठ कठोरा ⁠।⁠। हंसहि बक दादुर चातकही । हँसहिं मलिन खल बिमल बतकही ⁠।⁠। किन्तु दुष्टोंके हँसनेसे मेरा हित ही होगा। मधुर कण्ठवाली कोयलको कौए तो कठोर ही कहा करते हैं। जैसे बगुले हंसको और मेढक पपीहेको हँसते हैं, वैसे ही मलिन मनवाले दुष्ट निर्मल वाणीको हँसते हैं ⁠।⁠।⁠
Ramcharitmanas Vyakhya Sahit Tika, Code 0081, Devnagri Hindi, Gita Press Gorakhpur (Official) (Hindi Edition)
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